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लेखनी कहानी -20-Feb-2022 सर्दी की चाय

#वार्षिकलेखनीप्रतियोगिता
सर्दी की चाय
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लो आ गई भोर, दुपहरी, शरद ऋतु वाली,

संग अपने लेकर आई,सुरमई शाम निराली,


श्वेत सवेरे का कोहरा भी, एक सबक सिखाता है,

अंधियारों से आगे बढ़ने की ,सही राह दिखाता है,


सर्दी वाली चाय की चटकार है निराली

थोड़ी मीठी थोड़ी सांवली स्वाद में निराली


शाम ठिठुरती के भी, अंदाज बड़े मतवाले है

नींद सुहानी भर नैनों में, आते स्वपन निराले है


धूप गुनगुनी शीतलता में, तन को छू कर जाती है,

मंद-मंद मदहोशी जैसे, तन मन में रम जाती है,


जलती आग अंगीठी में,लपटे चिंगार उठाती हैं,

बीती यादों के मंज़र को, बार-बार दोहराती है,


सन सन हवा चल रही है ,पवन मुस्कुरा रहा है,

धीमे धीमे देखो मन भी गुनगुना रहा है


हाथ में गर्म चाय का प्याला मन को लुभा रहा है

उफ! गुलाबी सर्दी का लुत्फ उठा रहा है


आती है ये छैल छबीली ,गरम-गरम परिधान लिए,

सर पर टोपी गले में मफलर,त्योहारों का पकवान लिए,


ठंड गुलाबी फल रसीले ,मुखड़े पर एक शान लिए,

शरद ऋतु की बात निराली, सेहत का वरदान लिए,


लो आ गई शरद ऋतु लेकर, गर्म चाय की प्याली,

शोख हवाएं चलती रहती, तन मन छूने वाली,


संग अपने ये लेकर आई, सुरमई शाम निराली,

हर एक दिल में बसने वाली, ये ऋतु  बड़ी मतवाली,

संगीता वर्मा ✍️✍️
.....


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6 Comments

Lotus🙂

25-Feb-2022 01:34 PM

बहुत सुंदर समावेश किया है अपने सर्दी और चाय का

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Rohan Nanda

23-Feb-2022 12:35 AM

गुड

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Swati chourasia

21-Feb-2022 01:34 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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